जिले के बनकटा विकास खंड के ग्राम पंचायत अघांव में सार्वजनिक शौचालय की केयर टेकर राजकली देवी हैं। केयर टेकर के मानदेय भुगतान के लिए ग्राम सचिव ने तो डोंगल लगाया, लेकिन प्रधान ने डोंगल नहीं लगाया। जिसके कारण केयर टेकर का मानदेय भुगतान नहीं हो सका। इसकी शिकायत पीड़िता ने डीपीआरओ से की।
डीपीआरओ सर्वेश कुमार पांडेय ने उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा 15 के तहत प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि केयर टेकर के मानदेय का भुगतान गणेश आजीविका स्वयं सहायता समूह के खाते में अब तक क्यों नहीं कराया गया है। साक्ष्य सहित 15 दिवस के भीतर जवाब मांगा। प्रधान ने 18 अप्रैल को बिना साक्ष्य के स्पष्टीकरण दिया।डीपीआरओ ने दोबारा 10 जून को स्पष्टीकरण मांगा। प्रधान ने छह जुलाई को दिए स्पष्टीकरण में कहा कि राजकली देवी द्वारा फर्जी चयन प्रस्ताव ग्राम पंचायत को दिया गया। इस संबंध में स्वयं सहायता समूह को नोटिस जारी कर चयन कार्यवाही रजिस्टर मांगने पर उपलब्ध नहीं कराया गया। उनकेहस्ताक्षर बिना किए ही चयन का प्रस्ताव दिया है।हालांकि प्रधान की तरफ से जारी नोटिस पर दिनांक अंकित नहीं था। सचिव के हस्ताक्षर भी नहीं थे। जबकि सचिव की तरफ से प्रस्तुत कार्यवाही रजिस्टर पर प्रधान, सचिव और ग्राम पंचायत सदस्यों के हस्ताक्षर मिले। कार्यवाही रजिस्टर में केयरटेकर पद पर राजकली का चयन अंकित मिला।
डीपीआरओ सर्वेश पांडेय ने बताया कि ग्राम प्रधान दिनेश यादव मनमानी करते हुए मानदेय का भुगतान नहीं कर रहे थे। सामुदायिक शौचालय के संचालन में बाधा उत्पन्न कर रहे थे। खुले में शौचमुक्त अभियान को प्रभावित करने, प्रधान पद के दायित्वों और कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करने के लिए प्रथमदृष्ट्या दोषी पाए गए हैं। डीएम ने प्रधान के विरुद्ध लगे आरोप की अंतिम जांच के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी को नामित करते हुए 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।